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लेखनी कहानी -11-Sep-2022 सौतेला

भाग 16  
संपत की दिनचर्या थोड़ी बदल गई थी । जो संपत अपनी ड्यूटी का पक्का था , ऊर्जा से सदैव लबरेज रहता था वह संपत अब काम से जी चुराने लगा । गायत्री की मौत ने उसकी जिंदगी ही बदल दी थी । एक हंसमुख नौजवान अब गुमसुम रहने लगा था । सदा मुस्तैद रहने वाला संपत अब काम से जी चुराने लगा था । उसकी जिंदगी में अंधेरे ही अंधेरे छा गये थे । प्रकाश की किरण केवल शिवम था ।  शिवम ही अब उसके जीने का सहारा था । नई मां उसकी शादी करना चाहती थी इसलिए उसने कुछ लड़कियां उसे दिखाईं मगर उसे कोई पसंद नहीं आई । वह पसंद करना भी नहीं चाहता था । गायत्री की यादों के सहारे ही जीवन बिताना चाहता था । 

पर होनी को कुछ और ही होना था । एक दिन उसके ऑफिस में आई जी साहब का निरीक्षण था । आई जी साहब उसे व्यक्तिगत रूप से पहले से जानते थे क्योंकि उसकी कर्मठता और ईमानदारी के चर्चे अक्सर पुलिस अधिकारियों में होते रहते थे । निरीक्षण के दौरान आई जी साहब का संपत से काफी लंबा वार्तालाप हुआ जिस से वे संपत से बहुत प्रभावित हुए थे । आई जी साहब ने डिनर के लिए संपत को आमंत्रित कर लिया । पुलिस की ड्यूटी में अधीनस्थ को ना कहने का अधिकार नहीं है इसलिए संपत को हां कहना ही पड़ा । 

ठीक आठ बजे संपत आई जी साहब के बंगले पर पहुंच गया । बंगले पर अर्दलियों की पूरी फौज थी । संपत को एक अर्दली ने ड्राइंग रूम में बैठा दिया । थोड़ी देर में आई जी साहब के साथ एक युवती कमरे में दाखिल हुई ।  संपत की निगाहें यद्यपि लड़कियों पर ठहरती नहीं थीं परन्तु उस लड़की में ऐसा जबरदस्त आकर्षण था कि संपत उसे देखने को मजबूर हो गया । वाकई बहुत खूबसूरत थी वह । संपत ने दोनों को नमस्ते कहकर अभिवादन किया । 
"संपत, इनसे मिलिए । ये मेरी बेटी है कामिनी । बड़ी हंसमुख और इंटेलीजेण्ट है । एक मिनट में सबको अपना बनाने का हुनर है इसमें" । आई जी प्रसन्ना ने कहा 

संपत मन ही मन सोचने लगा "यह लड़की है या अप्सरा । इतनी खूबसूरत लड़की उसने पहले देखी नहीं थी कभी । जब हुस्न परी किसी से बात करेगी तो सामने वाला तो उसका हो ही जाएगा ना" ? 
"क्या सोचने लगे संपत ? मेरी बात पर यकीन नहीं है" ? प्रसन्ना ने हंसकर कहा 
"अरे सर, आपकी बात पर यकीन कैसे नहीं होगा ? ये हैं ही इतनी हसीन कि हर कोई इनका हुए बगैर रह ही नहीं सकता है । अच्छा लगा इनसे मिलकर" संपत ने कामिनी पर गहरी निगाह डालते हुए कहा 
"तो मैं समझूं कि कामिनी तुम्हें पसंद है" ? प्रसन्ना ने जाल बिछा दिया था 

अब संपत के चौंकने की बारी थी । उसने ऐसा नहीं सोचा था "सर, मेरा मतलब वो नहीं था । मैं तो ऐसे ही कह रहा था" संपत झेंपते हुए बोला 
"पर मेरा मतलब वही है । आई एम सीरीयस । यदि तुम्हें कामिनी पसंद हो तो बात आगे बढाई जाये" ? आई जी प्रसन्ना ने अब अपने मंसूबे साफ कर दिये । संपत को उम्मीद नहीं थी कि अचानक से उसे ऐसा ऑफर मिलेगा । वह संकोच से बोला "सर, अभी तो मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है । बाद में होगा तो बता दूंगा" । 
"ठीक है । जैसी तुम्हारी मरजी" प्रसन्ना जी ने मुस्कुरा कर कहा । 

कामिनी संपत को देखकर मुस्कुराती रही और बार बार कनखियों से उसे देख देखकर अपनी ओर आकर्षित करती रही । संपत बड़ी दुविधा में फंस गया । कामिनी की देह का आकर्षण उसे उसके नजदीक ले जा रहा था मगर गायत्री की वफा उसे रोक रही थी । "इधर जाऊं या वहीं खड़ा रहूं" वेले मोड में आ गया था संपत । उसने इस विषय पर कुछ बताने के लिए थोड़ा सा समय मांग लिया था । थोड़ा समय मांगकर उसने ठीक ही किया था । वह मानसिक रूप से शादी के लिए अभी तैयार नहीं था । 

डिनर में तरह तरह के आइटम परोसे गये और संपत को मनुहार कर करके खिलाए गये । कामिनी और उसकी मम्मी दोनों ने संपत पर अधिकार जमा लिया था । जैसे दोनों में होड़ लग रही हो कि संपत को कौन ज्यादा खिलाये ? उनके सामने संपत की एक भी नहीं चली । दोनों ने मिलकर संपत को इतना खिलाया कि उसे अगले दिन का व्रत रखना पड़ा । 

उस दिन के पश्चात आई जी साहब ने संपत को पकड़ लिया । कभी किस बहाने से तो कभी किस बहाने से वे उसे अपने पास बुलाने लगे । कभी कभी तो वे जानबूझकर कमरे में कामिनी और संपत को अकेला छोड़ देते थे । अब संपत और कामिनी में नजदीकियां बढ गई थीं । संपत ने एक तरह से कामिनी को मन से स्वीकार कर लिया था । 

कामिनी का विवाह पहले एक आई पी एस से हुआ था लेकिन वह अपनी अफसरी में इतना घमंडी था कि वह कामिनी को एक नौकरानी की तरह ट्रीट करता था । कामिनी ने तंग आकर उससे तलाक ले लिया था । यह बात किसी ने संपत को बताई नहीं थी । संपत धीरे धीरे कामिनी के बारे में जानने लगा । एक हंसमुख लड़की जिसे पुलिस के एक आला अधिकारी ने प्रताड़ित कर एक गुमसुम लड़की में परिवर्तित कर दिया था । आई जी साहब उसका विवाह संपत से करना चाह रहे थे । संपत कामिनी की अदाओं पर इतना रीझ गया था कि वह अब खुद चाहता था कि उसका विवाह कामिनी के साथ हो जाए । परिवार के लोगों ने कामिनी को देखा तो उन्हें वह दम्भी लगी । नई मां ने कहा कि लड़की संस्कारी नहीं है मगर संपत की जिद के आगे सब लोग झुक गये । संपत और कामिनी का विवाह हो गया । 

क्रमशः 
श्री हरि 
17.5.23 

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1 Comments

Nice part 👌

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